नये परिंदों ने पुराने परिंदों के घौंसले उजाड़ दिए महज फोटो खींचने तक सीमित खुद्दार

The new birds have destroyed the nests of the old birds The selfish ones limited to just taking photographs have gone to the Congress Some loyalists will not leave the Congress even after insults Who is responsible after all

नये परिंदों ने पुराने परिंदों के घौंसले उजाड़ दिए महज फोटो खींचने तक सीमित खुद्दार

एम सलीम खान : ऊधम सिंह नगर जिले में कांग्रेस की स्थिति बेहद कमजोर है,एक बाद एक जमीन से कांग्रेसियों ने उपेक्षा और अपमान का शिकार होकर पार्टी को छोड़कर चले जाना ही जरूरी समझा, वहीं कांग्रेस के कुछ निष्ठावान और कर्मठ नेता।

आज भी उपेक्षा और अपमान का शिकार होने के बाद पार्टी को छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं है,उनका मकसद है बिखरतीं कांग्रेस को बचाने के लिए एक मजबूत बुनियाद रखी जाएं।

लेकिन उनकी इस मुहिम को जिला कांग्रेस के मुखिया परवान नही चढ़ने देना चाहते,आरोप यह भी है कि जिला कांग्रेस के मुखिया इतने महत्वकांक्षी हो चुके हैं।

कि वो किसी भी कद्दावर नेता को इसलिए पसंद नही करते कि कही उसके आने से इनकी हैसियत नंबर दो तक सीमित न हो जाए सो किसी के खिलाफ कोई आरोप लगा कर किनारे करने का खेला।

तो किसी को इतना अपमानित किया कि वो पार्टी छोड़ कर अपना निजी सम्मान बचाने के लिए अलेहिदा हो गया, 

कुछ को बागी बता कर अपना रास्ता साफ किया तो किसी को, खलनायक बता कर निपटा दिया।

ऐसे करते लगभग पूरी पार्टी निपटा कर सहज महसूस करने का आनंद लेने वाले यह भूल गए कि आप पार्टी को कुछ दे तो नही पाए।

बल्कि पार्टी की दशकों की कमाई और पार्टी के कठिन वक्त में भी पार्टी का परचम बुलंद रखने वालों को भी आपने अपनी महत्वकांक्षा के लिए दरकिनार कर अंदरूनी रूप से पार्टी को खोखला कर दिया।

सोने पे सुहागा यह कि वर्तमान में सांसद के चुनाव में सबको गले लगने की रणनीति के विपरीत प्रत्याशी को भी गुमराह कर समन्वय कराने को बजाय अपनी निजी प्रतिस्पर्धा।

वाले लोगों को अपमानित करके चुनाव कमान को अपने हाथ में रखने और पार्टी मेंअपनी स्वीकार्यता न होने के बावजूद अपने अहम और।

फोटो प्रेम के लिए सांसद के चुनाव में प्रत्याशी की आबरू को भी दाव पर लगा दिया और समन्वय की बजाए दरार पैदा कर ऐसी खाई खोद दी जो भरी नही जा सकती

लेकिन इनकी महत्त्वकाक्षा का रास्ता इतने षड्यंत्र रचने के बाद भी साफ होता नही दिख रहा।

इससे रोड़ा वो बने हैं जो कांग्रेस का आधार स्तंभ हैं जो मूल और बुनियादी कांग्रेसी हैं,जो अनवरत अपमान के बाद भी किसी कीमत पर कांग्रेस को छोड़ने को तैयार नहीं।

आज हम आपको कुछ ऐसे ही जमीनी कांग्रेसी नेताओं से रुबरु करने जा रहे हैं।

हम उनका भी जिक्र करेंगे जिन्होंने कांग्रेस के पुराने परिंदों के घौसलो को नेस्तनाबूद कर नये घौंसले बनाएं लेकिन उनकी जमीनों हकीकत बहुत अलग थलग है।

सबसे पहले बात करते हैं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सिलसिले वार पतन की यह कहने में कोई गुरेज नहीं ही नहीं जब से जिला कांग्रेस कमेटी की।

कुर्सी जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा ने संभाली है,जब से लेकर आज तक बहुत से ऐसे कांग्रेसियों ने संगठन में उपेक्षा का शिकार होकर पार्टी छोड़ दी।

 जबकि नव नियुक्त जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा अच्छी तरह ऐसे कांग्रेसियों से पारिचित है।

जिन्होंने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा कांग्रेस में खर्च दिया,इन कांग्रेसियों ने कांग्रेस के प्रति पूरी लग्न और निष्पक्षता पूर्वक काम किया।

एक दौर ऐसा था कि इन्ही नेताओं से कांग्रेस की बड़ी पहचान थी, लेकिन जैसे जैसे माहौल बदलता रहा इन दिग्गजों को अनदेखी का शिकार होना पड़ा।

असल में तो जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा को चाहिए था कि जिला कांग्रेस कमेटी की भागदौड़ संभालने के बाद उन्हें अपनी टीम में ऐसे कांग्रेसियों को जगह देनी चाहिए थी।

लेकिन उन्होंने इसके विपरित नये चेहरों को अहमियत दी, और पुराने बड़े चेहरों को दर किनार कर दिया।

जिसका नतीजा यह हुआ कि हिमांशु गावा कांग्रेस में पनपी हरियाली को बचाने में नाकामयाब रहे, और कांग्रेस में पतन का सिलसिला शुरू हो गया।

अब हुआ ये कि कांग्रेस के जो पुराने दिग्गज नेता थे उन्होंने इस उपेक्षा को दर किनार करते हुए अपने अपने स्तर से पार्टी में कामकाज जारी रखा, और पार्टी के प्रति अपनी वफादारी को मिटाने नहीं दिया।

लेकिन उनके भरसक प्रयास एक जगह आकर रुक जाते लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार इस इंतेज़ार में अपने काम को अंजाम देते रहे।

कि शायद कोई बड़ा नेता इस अनदेखी पर रोक लगाने में सक्षम हो, लेकिन अनदेखी का सिलसिला थमा नहीं है,

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